भारत की सबसे बड़ी और वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है। कंपनी का मुनाफा जुलाई-सितंबर तिमाही में कम हुआ है, और इसके साथ ही इसकी मार्केट वैल्यू भी घट गई है। पिछले कुछ महीनों में रिलायंस के लिए शेयर बाजार और व्यवसायिक परिणाम दोनों ही नकारात्मक रहे हैं, और इस समय कंपनी के लिए स्थिति कठिन हो गई है।
1. रिलायंस की मार्केट वैल्यू में 4.2 लाख करोड़ रुपए की कमी
रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैपिटलाइजेशन (एमकैप) पिछले कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर घटा है। जून 2024 के अंत में, रिलायंस का मार्केट कैप 21 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था, जो कि कंपनी के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर था। उस समय रिलायंस ने यह उपलब्धि हासिल की थी और भारत की पहली कंपनी बन गई थी, जिसका मार्केट कैप 21 लाख करोड़ के पार गया था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं।
रिलायंस के मार्केट कैप में 4.2 लाख करोड़ रुपए की कमी आई है। शुक्रवार को कंपनी का मार्केट कैप लगभग 17.36 लाख करोड़ रुपए था, जबकि जून में यह 21 लाख करोड़ के आसपास था। इसका सीधा असर कंपनी के शेयर प्राइस पर भी पड़ा है। रिलायंस का शेयर मूल्य अक्टूबर के अंत में एक स्पलिट के बाद लगातार गिरावट का सामना कर रहा है। 28 अक्टूबर को शेयर स्पलिट हुआ था, उसके बाद से शेयर प्राइस में गिरावट आई और अब यह 1,284 रुपए के आसपास ट्रेड हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप, कंपनी का टोटल मार्केट कैप 50 अरब डॉलर तक घट चुका है, जो भारतीय बाजार में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।
2. रिलायंस का मुनाफा भी घटा: तिमाही परिणाम
इस वित्तीय तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज की आय और मुनाफे में गिरावट आई है। कंपनी का कंसोलिडेटेड प्रॉफिट 4.8 प्रतिशत घटकर 16,563 करोड़ रुपए हो गया है, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 17,394 करोड़ रुपए था। यह गिरावट कंपनी के तेल (ऑयल) बिजनेस में कमी के कारण आई है, जो पहले रिलायंस की आय का एक प्रमुख स्त्रोत था।
रिलायंस के पेट्रोलियम और रिफाइनिंग व्यापार से अब इनकम लगातार घट रही है। हालांकि, कंपनी के अन्य दो बड़े व्यवसाय— रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल— अब कंपनी के मुनाफे में मुख्य योगदान दे रहे हैं। इन दोनों ही कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, और इन्हीं की बदौलत रिलायंस की ओवरऑल इनकम में गिरावट के बावजूद कोई गंभीर समस्या नहीं आई है।
3. रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल का बढ़ता महत्व
रिलायंस जियो, जो कि भारत में टेलीकॉम क्षेत्र का एक बड़ा नाम है, और रिलायंस रिटेल, जो खुदरा व्यापार में अग्रणी है, इन दोनों के अच्छे प्रॉफिट के चलते रिलायंस के कुल कारोबार में संतुलन बना हुआ है। खासकर रिलायंस जियो ने भारतीय मोबाइल डेटा बाजार में अपनी स्थिति मजबूत की है, और रिलायंस रिटेल ने रिटेल सेक्टर में जबरदस्त विस्तार किया है, जिससे कंपनी के कुल मुनाफे में गिरावट को कम करने में मदद मिली है।
4. मुकेश अंबानी की व्यक्तिगत संपत्ति और रिलायंस का भविष्य
इसके बावजूद, मुकेश अंबानी अब भी भारत के सबसे अमीर व्यक्ति बने हुए हैं, और रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत की सबसे बड़ी और वैल्यूएबल कंपनी है। ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक, मुकेश अंबानी की नेटवर्थ अब 100 अरब डॉलर तक पहुंच गई है, जो उनकी व्यापारिक सफलता और रिलायंस की स्थिरता को दर्शाता है। हालांकि, कंपनी को अब नए चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि ऑयल बिजनेस में गिरावट और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव, फिर भी रिलायंस का भविष्य उज्जवल दिखता है, विशेष रूप से डिजिटल और रिटेल क्षेत्र में उसके मजबूत स्थिति को देखते हुए।
5. नए कारोबारी क्षेत्र और भविष्य की रणनीतियाँ
रिलायंस इंडस्ट्रीज को अब अपने पुराने तेल-आधारित व्यापार से अधिक डिजिटल, रिटेल और हरित ऊर्जा जैसे नए क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित करना होगा। पिछले कुछ वर्षों में, कंपनी ने इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश किए हैं और उनके अच्छे परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं। साथ ही, रिलायंस ने ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में भी अपनी सक्रियता बढ़ाई है, और वह जल्द ही इस दिशा में बड़ी योजनाओं का ऐलान कर सकता है।
अंततः, रिलायंस का भविष्य इन नए क्षेत्रों में उसकी सफलता पर निर्भर करेगा, और कंपनी की मार्केट वैल्यू में गिरावट के बावजूद, यह उम्मीद जताई जा सकती है कि रिलायंस नए कारोबारी क्षेत्रों में अपनी स्थिति और वृद्धि की राह पर चलेगा।
निष्कर्ष:
रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए यह समय मुश्किल भरा जरूर है, लेकिन इसके जियो और रिटेल सेक्टर में हुए निवेशों के कारण कंपनी अभी भी भारतीय बाजार में सबसे बड़ी और सबसे अमीर कंपनी बनी हुई है। अगर कंपनी अपनी रणनीतियों में बदलाव करती है और नए क्षेत्रों में निवेश बढ़ाती है, तो भविष्य में उसे अपने परिणामों में सुधार देखने को मिल सकता है।