आजकल की बदलती जीवनशैली के कारण कम उम्र में ही लोग ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी के शिकार बन रहे हैं। ऑस्टियोपोरोसिस एक गंभीर हड्डी से संबंधित रोग है, जो हड्डियों को कमजोर और भंगुर बना देता है। एक हजार बिस्तरों वाले अस्पताल के हड्डी रोग विभाग की ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) में रोजाना इस बीमारी के कई मरीज देखने को मिलते हैं।
ओपीडी में 10-15% मरीज हैं ऑस्टियोपोरोसिस पीड़ित
चिकित्सकों के अनुसार, ओपीडी में आने वाले कुल मरीजों में से करीब 10-15 प्रतिशत मरीज ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित होते हैं। उम्र बढ़ने के साथ इस बीमारी का खतरा बढ़ता है, लेकिन खराब जीवनशैली के कारण कम उम्र के लोग भी इसका शिकार बन रहे हैं। युवाओं में धूम्रपान, मोटापा और अनुचित खान-पान जैसी आदतें इस बीमारी को बढ़ावा दे रही हैं।
30 साल के बाद हड्डियों की मजबूती में कमी आनी शुरू हो जाती है। हालांकि, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार लेने वाले लोगों में यह कमी धीरे-धीरे आती है। ऐसे लोग अपने जीवनकाल में इस बीमारी से देर से प्रभावित होते हैं। वहीं, 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।
ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक उम्र में बढ़ता है
महिलाओं में 45 साल और पुरुषों में 60 साल की उम्र के बाद ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा सबसे ज्यादा होता है। हालांकि, बदलती जीवनशैली और खान-पान की गलत आदतों के कारण यह बीमारी अब कम उम्र में ही होने लगी है। अस्पतालों में रोजाना करीब 20-25 मरीज ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज करवाने आते हैं, जो कुल मरीजों का 10-15% हिस्सा हैं।
लक्षण नहीं दिखते, पर फ्रैक्चर होने पर चलता है पता
ऑस्टियोपोरोसिस की खासियत है कि इसके शुरुआती चरण में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते। आमतौर पर इसका पता तभी चलता है जब मरीज को कोई फ्रैक्चर होता है या जब किसी कारणवश हड्डियों की जांच की जाती है। चिकित्सक कहते हैं कि अगर समय रहते हड्डियों को कमजोर होने से रोका जाए, तो इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
कूल्हे, जांघ और रीढ़ की हड्डी को करता है प्रभावित
ऑस्टियोपोरोसिस का सबसे अधिक असर शरीर के कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों जैसे कि कूल्हे, जांघ और रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। ये हड्डियां अधिकतर मजबूत मानी जाती हैं, और इनमें खून की आपूर्ति भी अधिक होती है। लेकिन ऑस्टियोपोरोसिस के कारण ये कमजोर हो जाती हैं और इनमें फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे मामलों में मरीज की मृत्यु दर भी अधिक हो जाती है, खासकर यदि कूल्हे की हड्डी टूट जाए।
रोकथाम के उपाय
ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बेहद जरूरी है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार जिसमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी हो, और धूम्रपान से दूरी बनाकर रखी जा सकती है।