रायपुर 09 जनवरी 2022
छत्तीसगढ़ की माटी में खुशबू में समाहित लोक कला एवं संस्कृति को आगे लाने के साथ राज्य सरकार छत्तीसगढ़िया खेलों को भी आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन पहली बार इसी मंशा से किया गया, जिसे भारी जनसमर्थन देखने को मिला। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा 6 अक्टूबर को इसका शुभारंभ किया गया, जो अब अंतिम चरणों में है। 10 जनवरी को इसका समापन हो जाएगा। छह चरणों में आयोजित छत्तीसगढ़िया आलंपिक प्रतिस्पर्धा में लोगों का शामिल होने का जुनून देखते ही बनता है। इस ओलंपिक की खास बात यह रही कि महिलाओं ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इनमें ऐसी महिलाएं भी शामिल है, जो शादी के बाद ससुराल चली गई थी, उन्हें भी अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका इस ओलंपिक ने दिया है। ये महिलाएं विभिन्न स्तरों पर आयोजित प्रतियोगिताओं में अप्रत्याशित
रूप से विजेता बनकर उभरीं।
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में बच्चे और युवाओं के साथ खेल मैदान से नाता तोड़ चुके बुजुर्गों ने भी पूरे जोशो-खरोश के साथ भाग लिया और अपनी खेल प्रतिभा और खेल कौशल का प्रदर्शन कर लोगों को दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर कर दिया। इस ओलंपिक में छह साल की बच्ची से लेकर 65 साल के बुजुर्ग भी शामिल हो रहे हैं। ये खिलाड़ी ग्रामीण स्तर से अपनी प्रतिभा को साबित करते हुए संभाग स्तर पर विजेता बनकर उभरे और अब राज्य स्तरीय स्पर्धाओं में अपनी प्रतिभा का जौहर दिखा रहे हैं।
उभर कर आये कई प्रतिभावान खिलाड़ी-
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक प्रतियोगिता के माध्यम से रायपुर की नबोनीता बैरा को बिलासपुर खेल अकादमी में प्रशिक्षण का सुनहरा मौका मिला है। बुजुर्गों ने भी इन खेलों में अपना दम-खम दिखाया। फुगड़ी में हरदी ग्राम पंचायत की 65 वर्षीय श्रीमती आशोबाई ने 01 घण्टा 31 मिनट 58 सेकेण्ड तक फुगड़ी खेलकर अपने जज्बे से 40 वर्ष अधिक आयुवर्ग में जीत हासिल की। दूसरे स्थान पर रही कोरबा जिले के पाली विकासखंड की साहिन बाई ने आशोबाई को 01 घण्टा 31 मिनट 53 सेकण्ड तक कड़ी टक्कर दी और दूसरा स्थान प्राप्त किया। वहां मौजूद दर्शकों ने इस आयु वर्ग के खिलाड़ियों को पूरे जोशो-खरोश के साथ खेलते देखकर उनका खूब उत्साहवर्धन किया। दर्शकों ने कहा कि इस आय वर्ग के खिलाड़ियों को देखना एक सुखद अनुभव कराता है और अपनी खेल और परंपराओं के प्रति उनका समर्पण को भी दिखाता है। यहां आये लोगों ने छत्तीसगढ़ सरकार की इस कदम की सराहना करते हुए इसे आगे भी जारी रखने की बात कही।
इस ओलंपिक में कई खिलाड़ी अपनी शारीरिक कमियों और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने पूरे दमखम के साथ शामिल होकर अपने आप को साबित भी किया। ऐसी ही एक कहानी है बस्तर केे बकावंड ब्लाक के ग्राम सरगीपाल की रहने वाली गुरबारी की है। उनकी बाएं हाथ की हथेली नहीं है, लेकिन बावजूद उन्होंने राजीव युवा मितान क्लब स्तर पर कई खेलों में भाग लिया और सामूहिक खेल कबड्डी और खो-खो में जीत भी दर्ज की।